एक रिश्ता ऐसा भी .
रिश्ते. क्या होते है ये रिश्ते ? एक अकेला इंसान आपनी सारी जिंदगी अकेले नहीं बिता सकता इसी लिये होते है ये रिश्ते?कोई रिश्तो के लिये जीता है .तो कोई जिनके लिये रिश्तो का सहारा लेता है.हमारी नजर में इंसान की जिंदगी बिलकुल एक तस्वीर की तरह होती है .और रिश्ते होते है उस तस्वीर में बसे रंग .और कोईभी तस्वीर तभी खुबसूरत बनती है जब उसमे अलग अलग रंग होते है .हमारी जिंदगी की भी एक ऐसी ही तस्वीर है उसमे भी बेहद खुबसूरत अलग अलग रंग है .लेकिन फिर भी लगता था की वो अधूरी है .कोई रंग है जो आजभी इस तस्वीर से दूर है .हम अल्लाह से हमेशा वो रंग मांगते थे .वो एक रंग मिल जाये तो हमारी तस्वीर और ज्यादा खुबसूरत हो जाएगी.आखिर कार वो दिन आ ही गया.
हम एक ऐसी शक्सियत है की दोस्ती में खुदसे भी ज्यादा यकीं करते है .दोस्त तो बहोत सरे होते है मगर सच्चा दोस्त सिर्फ एक.और हर एक इंसान को तलाश होती है सच्चे दोस्त की .हमे भी थी .सोचते थे ,की सूरत देखके ,बात करके ,मतलब के लिये ,कोई भी दोस्ती कर लेता है .हम उन दोस्तोके साथ रहते है .एक साथ काफी वक़्त बिताते है .ऐसा करके तो कोई भी अच्छा दोस्त बन जायेगा.हम हमेशा सचे दोस्त के रूप में उस शख्स को देखते थे.जो हमसे दूर है फिरभी लगता है वो यही कही हमारे पास है .दोस्ती में एक दुसरे का साथ होना ,एक दुसरेके पास होना जरुरी नहीं होते.हमे लोग हमेशा कहते थे की हमारा उस सच्चे दोस्त के लिये इंतजार करना फिजूल है .क्योँ की आज की दुनियामे ऐसा कोई नहीं है .मगर हमारा दिल कभी नहीं माना.हमने हमेशा उसका इंतजार किया.अल्लाह से उसे माँगा.सोचते थे की अल्लाह तो हमारी हर एक दुआ सुनते है तो फिर ये क्यों नहीं सुन रहे?लेकिन अब लगता है वाकहिमे सबर का फल सबसे मीठा और अच्छा होता है .
हमारी तलाश ख़त्म हुई .हमे हमारा सच्चा दोस्त मिल गया .जनके ख़ुशी हुई ना?तो सोचिये हमे कितनी हुई होगी?हमारा दोस्त हमसे मिलो दूर है .फिरभी हम साथ है .उसकी good morning sms से दिन की शुरुआत होती है .और good night sms से दिन ख़तम होता है .जितना यकीन हमे हमारे पास वाले दोस्तोपे नहीं उतना हमे उसपे यकीन है.बस आब वक़्त आ गया है उन लोगों को दिखने का जो ये कहते थे की दोस्ती कभी ऐसी नहीं होती .आब वक़्त आ गया है अल्लाह का शुकर अदा करने का .की हमने जो माँगा हमे मिला.हमने जितना माँगा उससे बढ़कर मिला.हम हमारी हर एक छोटी सी छोटी बात उसे बताते है .और शायद वो भी.हमे उससे बात करके हल्का महसूस होता है .लगता है हा कोई है हमारे साथ हम अकेले नहीं .हम हर वक्त उससे मजाख करते है ताकि उसकी हसी सुन पाए.हम उसे हस्ता हुआ देख तो नहीं सकते .मगर सुन के ही सुकून मिल जाता है .अल्लाह से हमेश दुआ करेंगे की वो हमेशा हस्ता रहे .उसे उसकी हर एक ख़ुशी हर एक कामयाबी मिले .जिन्दगीमे खूब आगे बढे मगर आपनो को साथ लेकर.और जैसा अच्छा इंसान वो आज है उम्र भर वैसा ही रहे.क्योँ की हमने सुना है कामयाबी इंसान को बदल देती है .मगर हमे हमारे दोस्त पर पूरा यकीं है .वो कामियाब तो होगा मगर हमेशा एक अच्छा इंसान ही रहेगा.
अल्लाह ने हमे हमारा दोस्त तो मिला दिया .बस और एक दुआ है जो अल्लाह से हम अब मांगते है वो ये की हमारा दोस्त हमसे उसकी हर एक ख़ुशी तो बटेगा मगर अपना गम
Saturday, March 13, 2010
Saturday, January 30, 2010
kehna hai 2
एक रिश्ता ऐसा भी
रिश्ते ...क्या हो ते है ये रिश्ते ? क्या एक अकेला इन्सान अपनी पूरी जिंदगी अकेले नहीं बीता सकता इसीलिए होते है ये रिश्ते ? हर इन्सान की जिन्दगीमे इसके अलग अलग माईने होते है.कोई रिश्तो के लिए जीता है तो कोई जिनेके लिए रिश्तोका सहारा लेता है .इन्सान रिश्तोके सिमित बंधन मैं बंध के रह जाता है.माँ, बाप,भाई ,बेहेंन ये कुछ रिश्तोके अहम् पेहलु .लेकिन क्या इनके बावजूद भी और कही एसे रिश्ते होते है जो जिंदगी को उसके माईने दे जाते है.हमसे कुछ मांगते तो नहीं मगर बहोत कुछ दे जाते है. एसे कुछ रिश्ते मेरी भी जिंदगी से जुड़े है.जिंदगी में हर एक रिश्ते को एक नाम होता है .और जिस रिश्ते को कोई नाम नहीं होता उसे दोस्ती कहते है .मैंने भी कुछ एसे रिश्ते जिए है.मेरे पापा कहते है की जिन्दगीमे हर एक इन्सान कुछ सिखाता है.हम जिन्दगी मे जितने भी लोगोंसे मिलते है उन सबसे हमें कोई न कोई सिख मिलती है .किसीसे अच्छी बाते तो किसीसे बुरी .जितनी अच्छी है उसे अपनालो , जितनी बुरी वो हमारे अन्दर कभी न आये इस बात का ध्यान रखो.मैंने भी ऐसे कई लोगों से कुछ सिखा है.
मैं हमेशा सोचती थी की मेरी ही जिन्दगी मे परेशानिया है .एक मै अकेलिही हु जो इनसे लढ़ रही हु .मगर जब भी मैं मेरी मावशी (जो मेरे घरमे काम करती है ) उसे देखती हु तो मेरा गम उसके दर्द के सामने दिखाई भी नहीं देता .आम तौर पर हर एक घरमे कामवाली बाई आती है और अपना काम करके चली जाती है.लेकिन मेरी मावशी हमारे घरका एक सदस्य है .और मेरी सबसे अच्छी दोस्त भी.जैसे भी वो आती है हम दोनोकी मस्ती मजाक शुरू हो जाता है .उसे मेरे हातकी बनी चाय बेहद पसंद है.और मुझे any time उसे चाय पिलाना अच्छा लगता है .मुझे सताती भी उतनाही है और प्यार भी करती है .कहती है मेरी शादी के बाद मेरा पति मुझे us भी लेजाये तो वो मेरे साथ चलेगी.जिंदगीमें लाख गम ही सही मगर जिन्दगि तो एक बारही मिलती है उसे हसके बिताओ ये बात मैंने उसीसे सीखी है .शराबी , निकम्मा पति और दो जवान बेटोको सालोंसे पोस रही है .जवान बेटीकी शादीकी फ़िक्र है.१५ साल से उसे देखती हु लाख परेशांन सही लाख मजबूर सही मगर अपनी खुद्दारी कभी नहीं छोड़ी .जब भी women power की बात आती है तब लोग इंदिरा गांधी ,सोनिया गांधी का example देते है .पढालिखा होके देश तो कोई भी चला लेगा मगर अनपढ़ होके एक अकेली औरत अपना पूरा परिवार संभालती है अपने बच्चोको well educated बनाती है .क्या ये women power का example नहीं हो सकता? मै भी कई महिलाओ को अपना आदर्श मानती हु .लेकिन वो मेरा सबसे बड़ा आदर्श है.मैं भी जिन्दगीमे उसीकी तरह अपने परिवार की ख़ुशी के लिए हर मुमकिन कोशिश करुँगी और साथ ही साथ उसके भी कई छोटे छोटे ख्वाब है.जिसे अपने परिवार की जरूरतों के लिए उसने कुर्बान किये .जिन्दगीमे उसके लिए कुछ ना सही लेकिन उसके ये ख्वाब पुरे करने की कोशिश करुँगी .उसने अंजाने में मुझे जो दिया उस एहसान को तो मैं उम्र भर चूका नहीं सकती लेकिन उसकी हर मुमकिन कोशिश करुँगी और गर्व से पूछूंगी देखा है कही ? "'एक रिश्ता ऐसा भी" .
Wednesday, January 27, 2010
Kehna hai
" कहना है " दिल मैं बसे जज्बात ."कहना है" हर एक आंसू मैं छुपी बात ."कहना है "दिल कि हर ख्वाहिश हर एक तम्मना .मगर कैसे? आज मोसम बड़ा सुहाना है .खुली हवा मैं नीले आसमान के और देखते हुए और आसमान मैं अपनी आजाद जिन्दगी का जश्न मनाते उन पंछियों को देखके ये खयाल आया .काश इनकी जगह मैं होती .खुले आसमान मैं हर एक पंच्छी इतनी खुशीसे इधर से उधर इतने में देखा की एक अकेला पंच्छी खामोश बैठे आसमान कि और देख रहा है .और मैं उसको , मैं सोचने लगी शायद मेरी तरेही कोई बदनसीब पंच्छी है.जिसके पास पंख तो है मगर उड़ नहीं सकता.शायद वो भी आसमान कि और उड़ते आपने साथियों को देखकर अपने आप को कोस रहा है .वो तो पंच्छी है उससे मैं उसके दिलकी बात कैसे पुछु ? फिर मैंने सोचा उसकी आंखे तो है .मैं वो तो पढ़ ही सकती हु .मेरी भी हालत बिल्कुल उसकि तरह है। दिल मैं इतनी बाते है कि इस खुले आसमान पर उन्हें लिखना शुरू करदू तो शायद खुदासे और सप्लीमेंट मांगनी पढेगी .लेकिन ये बाते न तो मैं किसीको बता सकती हो .और नाही इन्हें अब छुपा सकती हु.मैं लब्जो मैं तो नही कह सकती लेकिन इस पंच्छी कि तरह मेरे पास भी तो आंखे है जो सबकुछ साफ साफ कहती है तो क्यूँ उनकी बात कोई नही सुनता?या फिर सुनके अनसुना कर देते है?मैं जानती हु कि आँखों कि बात हर किसीको सुनाई नही देती .आँखों कि बाते कानोसे नही दिलसे सुनी जाती है .मुझे तलाश है उसकी जो ये बाते दिलसे सुने.जिससे बात करने के लिए मुझे जबान कि जरुरत ना पड़े .लोग कहते है मैं बहोत सोचती हु.और इसीलिए शायद मैं नोर्मल नही हु .मतलब अब्नोर्मल .जो लोग मुझे ये कहते है उनसे एक बात कहनी है की .अगर २ gb ke pen drive मैं १० gb ka data save हो जाये तो वो pen drive अब्नोर्मल ही कहलाता है। सोचती हु कोई एसा मिल जाये तो "कहना है ". सोच सोच में काफी वक़्त बीत गया और पता भी नहीं चला होशमे आकर देखा तो वो पागल अभी उसी जगह था और मैं भी तो उसिजगाह हु जहा मैं थी.हमारे दोनों के सामने खुला आसमान था .दोनोके पास पंख थे.दोनोके दिलमे ऊँची उडान भरने कि चाहत थी .मगर ...मगर ....
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